"चंचल मन"
"चंचल मन"
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हर समय हर किसी में, मन लगाकर मत बैठिए।
अन्यथा हाल होगा बुरा,मन को संभाल के रखिए
जिन्दगी गर्त में होगी, पसंद करना दूर होगा।
कराहना उस व्यक्ति का,जिन्दगी का सुरूर होगा।
मन वेताब होगा दीदारको,अंखियाॅ सबनाम होंगी
आस होगी सभी को तुझसे,बुद्धि बदनाम होगी।
तड़पते रहेंगे जिन्दगी भर, मिल पाना दूर होगा।
थाम लेगी और का दामन ,तेरा सपना सुदूर होगा
आती रहेगी याद , शरीर कंकाल होगा।
जाती रहेगी याददाश्त,काया का अंत काल होगा।
किसी को पाने से पहले,कुछ करकेदिखाना होगा
अतःबचपना को त्याग कर,विद्वताअपनाना होगा
--------------एम.बी.द्विवेदी "दिली"
(प्रधानाचार्य)
राजकीय इण्टर कालेज
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