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मै हूँ

1-इस दुनिया में जिन्हे प्रेम मिला, वे बहुत भाग्यशाली हैं और जिन्हें प्रेम नसीब नही हुआ, वे सहानुभूति के पात्र हैं। 2-प्रेम शरीर की वह अमृतमयी खुराक है जो शरीर के अन्दर मरे हुए भावों को भी जिन्दा कर देता है, परन्तु कुछ लोग प्रेम को धन-दौलत से तौलते हैं। 3-

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दुनिया में अधिकांश रिश्ते अहंकार व अपनों की भावनाएँ न समझने की वजह टूट जाते हैं।

राँची में विज्ञान प्रशिक्षण

आज के इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में हर व्यक्ति बहुत व्यस्त और तनावग्रस्त रहता है, परन्तु इससे इतर हम सभी लोग विज्ञान के इस प्रशिक्षण......

प्रेम- विरह

शहर के शोर में गुमनामियाँ हैं। वहाँ तुम हो मगर अरमानियाँ हैं। दूर रहने की तनहाईयाँ हैं मगर, साथ रहने की दिल में तमन्नाइयाँ हैं।  गाँव के रंगत में  परेशानियाँ हैं। दिल में कुछ करने की जज्बातियाँ हैं। हम तुम मिले सात दिवस में सही, तेरे मिलने की प्यारी अहसासियाँ हैं।

झण्ड प्रेम

मेरे ख्वाबों  को  मार डालोगी। सितम मुझ पे हजार डालोगी। तुम्हें  अब  मैं  गर न  देखूं तो। हुस्न का क्या अचार डालोगी? जीने -मरने की कसम खा लोगी। साथ रहने पे नाटक दिखा लोगी। गर  तुम्हें  मैं  प्यार न  समझूँ तो। जवानी का क्या पान कर लोगी?

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न मिल ही सका, न बिछड़ ही सका। न चढ़ ही सका, न उतर ही सका। कैसे कर दूँ मैं खुद को तुम्हारे हवाले। न प्यार कर ही सका, न भुला ही सका। 

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मुकद्दर की लिखावट पर कोई विराग नही है। सब कुछ है जिन्दगी में मगर अनुराग नही है। कोई थी जिसकी यादों के सहारे गा रहे हैं हम। दिल में अब किसी के लिए द्वार नही है।