प्रेम- विरह
शहर के शोर में गुमनामियाँ हैं।
वहाँ तुम हो मगर अरमानियाँ हैं।
दूर रहने की तनहाईयाँ हैं मगर,
साथ रहने की दिल में तमन्नाइयाँ हैं।
गाँव के रंगत में परेशानियाँ हैं।
दिल में कुछ करने की जज्बातियाँ हैं।
हम तुम मिले सात दिवस में सही,
तेरे मिलने की प्यारी अहसासियाँ हैं।
Comments
Post a Comment